माँ ब्रह्मचारिणी
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नवरात्रि, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है जो नौ दिनों तक मनाया जाता है और जिसमें देवी दुर्गा की पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस त्योहार के नौ दिनों के दौरान, नौ विभिन्न रूपों में पूजा की जाती है, और इनमें से एक रूप है माँ ब्रह्मचारिणी.
नवरात्रि के दूसरे दिन को माँ ब्रह्मचारिणी के रूप की पूजा की जाती है। माँ ब्रह्मचारिणी, देवी दुर्गा के दूसरे स्वरूप के रूप में जानी जाती हैं, और उनके नाम का अर्थ होता है 'ब्रह्मचर्य' यानी तपस्या, और 'चारिणी' यानी जो चरण को छूती हैं। माँ ब्रह्मचारिणी, के हाथों में कमंडलु और माला होती है.
माँ ब्रह्मचारिणी दक्ष राजा की कन्या थी जिनका नाम सती था, और वह भगवान शिव की पत्नी बनने के बाद सती के रूप में प्रसिद्ध हुईं। उन्होंने अपने जीवन में ब्रह्मचर्य और साधना का पालन किया और भगवान शिव की प्राप्ति के लिए अत्यधिक तपस्या की।
माँ ब्रह्मचारिणी का रूप तपस्या, साधना, और आत्मा के अंधेरे को प्रकाश की ओर प्रेरित करता है। वह भक्तों को सात्विक और ध्यानयोग का मार्ग दिखाती हैं, और उन्हें दुष्ट भावनाओं और अपनी इंद्रियों के प्रति नियंत्रण रखने का संदेश देती हैं। माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से भक्त तप, ध्यान, और आत्मा के विकास का मार्ग चुनते हैं, और अपने जीवन में शांति और सौभाग्य की प्राप्ति करते है।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा -
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माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन , सूर्योदय के बाद की जाती है। पूजा के लिए, भक्त उनकी मूर्ति के सामने बैठते हैं और उनके रूप का ध्यान करते हैं। वे माँ के पाद को छूते हैं इस दिन भक्त अपने सारे भक्ति और श्रद्धा से माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं। पूजा के दौरान, कुमकुम, सिन्दूर, फूल, और धूप दिया जाता है। भक्त ध्यान और जाप के साथ देवी का गुणगान करते हैं और प्रार्थना करते हैं।
भक्त देवी की कथा का पाठ करते हैं और उनकी गुणगान करते हैं। इसके बाद, वे देवी से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।इसके साथ ही, वे भक्तों को सात्विक और ध्यानयोग का मार्ग दिखाती हैं, और उन्हें अपनी इंद्रियों के प्रति नियंत्रण बनाने का संदेश देती हैं।
मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र -
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"ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः" मंत्र का जाप करें और इस मंत्र के माध्यम से मां ब्रह्मचारिणी का सम्मान करें। जप के समय मां के दिव्य रूप को मानकर जप करें।
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अर्थ = हे माँ! सर्वत्र विराजमान माँ ब्रह्मचारिणी के रूप में माँ अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है।
पंचोपचार पूजा -
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पंचोपचार पूजा में दीप, धूप, अगरबत्ती, नैवेद्य, और फूलों का उपयोग करें। इन्हें मां के प्रति भक्ति और श्रद्धा भाव से समर्पित करें।
आरती और स्तुति -
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आरती गाकर और मां की स्तुति करके उन्हें आदर्श भाव से याद करें और उन्हें स्तुति दें।
प्रसाद वितरण -
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अन्न, मिठाई, फल, या अन्य प्रसाद को मां ब्रह्मचारिणी के नाम से विशेष भाव से बनाकर और उन्हें आराधना करके प्रसाद के रूप में उन्हें अर्पित करें।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से भक्तों को तप, ध्यान, और आत्मा के विकास का मार्ग मिलता है, और उनके जीवन में शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह मां की शक्तियों का महत्वपूर्ण स्वरूप है, जो हमें आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।और हमें तपस्या की महत्वपूर्णता की याद दिलाती हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा के द्वारा, हम अपने जीवन को सात्विकता, ध्यान, और आध्यात्मिकता की दिशा में मोड़ सकते हैं। यह दुनियाभर के हिन्दू भक्तों के लिए मां दुर्गा की आराधना का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे हम उनके सत्य और आदर्शों के प्रति समर्पित रह सकते हैं।
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