सामवेद
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वेदो मे सामवेद का स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। गीता मे भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं को सामवेद कहा है |
"वेदानां सामवेदोऽस्मि।"
सामवेद वेदों का सार है। ऋग्वेद और सामवेद का अभिन्न सम्बन्ध है। जो जन "साम" को जानता है, वही वेद के रहस्य को जान सकता है। सामवेद उपासना का वेद है। सामदेव "सूर्य" है। तो सामवेद के मन्त्र "सूर्य की किरणें " है।
भगवान की महानता की भावना से सराबोर, सामवेद अपने अद्वितीय स्वरूप में भक्ति और संगीत का अद्भुत मेल है।वेदो का अद्भुत धरोहर है सामवेद।
सामवेद मे कुल १८७५ मंत्र है। सामवेद मे कुल ६० देवता है , २३८ ऋषि है , और ५२ छंद है , ७ स्वर है।
सामवेद मे देवता -
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१ - अग्नि:
२ - अग्नि: पवमान:
३ - अग्निर्हवींषि वा
४ - अङ्गिराः
५ - अदिति:
६ - अन्नम्
७ - अपांनपात्
८ - अप्वा
९ - अश्विनौ
१० - अश्विनौ , मित्रावरुणौ
११ - आत्मा अग्निर्वा
१२ - आत्मा सूर्यो वा
१३ - आदित्यः
१४ - आदित्याः
१५ - आपः
१६ - आश्विनौ
१७ - इध्मः समिद्धो वाग्निः
१८ - इन्द्रः
१९ - इन्द्रवायू
२० - इन्द्राग्नी
२१ - इन्द्रो मरुतो वा
२२ - इषवः
२३ - उषाः
२४ - गावः
२५ - तनूनपात्
२६ - त्वष्टा, पर्जन्यः, ब्रह्मणस्पतिः, अदितिः
२७ - दधिक्रा
२८ - द्यावापृथिवी
२९ - द्यावापृथिव्यौ
३० - नराशंसः
३१ - पवमानः सोमः
३२ - पवमानाध्येता
३३ - पुरुषः
३४ - पूषा
३५ - प्रजापतिः
३६ -बृहस्पतिः
३७ - ब्रह्मणस्पतिः
३८ - मरुत इन्द्रश्च
३९ - मरुतः
४० - मित्रावरुणादित्याः
४१ - मित्रावरुणौ
४२ - यूप
४३ - रात्रिः
४४ - लिंगोक्ताः
४५ - लिङ्गोक्ताः
४६ - वरुणः
४७ - वाजिनः
४८ - वायुः
४९ - विश्वकर्मा
५० - विश्वे देवाः
५१ - विश्वेदेवाः
५२ - विष्णुः
५३ - विष्णुर्देवो वा
५४ - वेनः
५५ - संग्रामशिषः
५६ - सरस्वती
५७ - सरस्वान्
५८ - सविता
५९ - सूर्यः
६० - सोमः
सामवेद मे स्वर -
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१ - ऋषभः
२ - गान्धारः
३ - धेवताः
४ - निषादः
५ - पञ्चमः
६ - मध्यमः
७ - षड्जः
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