माँ कात्यायनी
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माँ कात्यायनी, माँ दुर्गा के नौ रूपों मे छठी रूप है। यजुर्वेद मे तैत्तिरीय आरण्यक मे इनका उल्लेख है। स्कन्द पुराण मे है की माँ भगवान् के क्रोध से उत्पन्न हुई थी , जिन्होंने महिषासुर का बध किया था। माँ को इसी लिए आदि शक्ति कहा जाता है। माँ का वर्णन देवीभागवत पुराण और मार्कण्डेय पुराण मे है।
माँ कात्यायनी की उपासना से भक्त को माँ कात्यायनी का आशीर्वाद मिलता है, और उनके जीवन में सुख, समृद्धि, और सांत्वना आती है। उनकी उपासना से मन, शरीर, और आत्मा का शुद्धि और संयम होता है, और भक्त अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफलता पाते हैं।
मंत्र -
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"ॐ देवी कात्यायन्यै नमः" यह मंत्र माँ कात्यायनी की उपासना के दौरान जपा जाता है। माला का प्रयोग करके मंत्र का 108 बार जप करें।
माँ कात्यायनी का मंत्र:
"ॐ देवी कात्यायन्यै नमः"
इस मंत्र का अर्थ है, "हे माँ कात्यायनी, हम आपको प्रणाम करते हैं।"
यह मंत्र माँ कात्यायनी की उपासना के दौरान जपा जाता है और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए उपयुक्त होता है। भक्त इस मंत्र का जाप करके माँ कात्यायनी की आराधना करते हैं और उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
ध्यान -
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माँ कात्यायनी की मूर्ति को ध्यान से देखें और उनकी आराधना करें। उनके रूप, मुद्रा, और स्वरूप का विचार करें।
माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत दिव्य और प्रशंस्य होता है, जिनके दर्शन से भक्त अपने मनोबल को बढ़ा सकते हैं। माँ कात्यायनी का वाहन एक सिंह होता है, जिसका नाम "सिंहरथ" है। वे दिव्य आकार में बैठी होती हैं और उनके चरणों में भक्तों के लिए आशीर्वाद की रूप में पुष्पों और सुगंध से भरे जाते हैं।
वे त्रिनेत्री, शूल और चंद्रघंटा के नाम से भी जानी जाती हैं, और उनके ध्यान से भक्त भयहीन होते हैं और नेगेटिव शक्तियों से सुरक्षित रहते हैं।
माँ कात्यायनी की पूजा विवाह, परिवार, आध्यात्मिक उन्नति, स्वास्थ्य, सौभाग्य, और सफलता में सहायक होती है और भक्तों को उनकी कृपा से धन्यता और सुख-शांति प्राप्त होती है।
माँ कात्यायनी की उपासना से भक्त को माँ कात्यायनी का आशीर्वाद मिलता है, और उनके जीवन में सुख, समृद्धि, और सांत्वना आती है। उनकी उपासना से मन, शरीर, और आत्मा का शुद्धि और संयम होता है, और भक्त अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफलता पाते हैं।
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