MAA KALRATRI: SYMBOL OF AMAZING STRENGTH AND PEACE

माँ कालरात्रि

a close up of a statue of a god
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माँ कालरात्रि
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माँ कालरात्रि, नवरात्रि के सातवें दिन की देवी हैं, और इनकी पूजा का विशेष महत्व है। इनका नाम "कालरात्रि" अर्थात् 'काली रात' से आया है, और ये देवी दुर्गा के भयंकर रूप की प्रतिष्ठा हैं।
माँ का रूप अत्यंत डराबना है, लेकिन माँ सबकी मनोकामनाएँ पूरी करती है। माँ दुष्टो का संहार करती है। राक्षस, भूत, प्रेत, दानव माँ से भयभीत होते है। माँ के भक्तो को किसी भी प्रकार का भय नहीं सताता है। भक्तों को माँ की पूजा अर्चना का नियम से पालन करना चाहिए। हमें निरंतर माँ का ध्यान और पूजा करना चाहिए।

माँ कालरात्रि का स्वरूप -
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माँ कालरात्रि का स्वरूप भयंकर और उग्र होता है। इनका चेहरा भयंकर दिखता है, और उनके हाथ में दंड होता है। वे अंधकार में विराजमान रहती हैं और काली रंग की होती हैं, इसीलिए उन्हें "कालरात्रि" कहा जाता है। माँ का शरीर का रंग काला है। सर के बाल बिखरे हुए है। माँ के तीन नेत्र है। माँ की नाक और मुँह से अग्नि की ज्वाला निकलती है। माँ का बाहन गधा है। माँ के एक हाथ मे कटार है , और दूसरे हाथ से वर देती है, और तीसरे हाथ मे लोहे है शस्त्र है ,और चौथा हाथ अभय मुद्रा मे है।

माँ कालरात्रि का महत्व -
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माँ कालरात्रि की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है, जब देवी दुर्गा ने अपने भयंकर रूप में महिषासुर का वध किया था। माँ कालरात्रि का महत्व यह है कि वे भयंकर रूप में आकर्षित होकर भक्तों के सभी पापों को दूर करती हैं और उन्हें आशीर्वाद देती हैं।

माँ कालरात्रि की कथा -
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एक समय की बात है, दुर्गा माँ ने अपने भयंकर रूप में महिषासुर का संहार किया था। महिषासुर एक राक्षस था जो अपनी अद्भुत शक्ति के बल पर अपने आपको अमर बना लिया था, और वह देवों की सताने लगा था।
दुर्गा माँ ने महिषासुर से लड़ते समय अपने भयंकर रूप को धारण किया, और उन्होंने एक अद्वितीय युद्ध किया। उन्होंने एक रात्रि में महिषासुर का वध किया, जिससे वे "कालरात्रि" के रूप में प्रसिद्ध हुईं।



माँ कालरात्रि का मंत्र -
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माँ कालरात्रि की पूजा के दौरान, उनका मंत्र "ॐ देवी कालरात्र्यै नमः" है, और इस मंत्र का उच्चारण भक्तों के लिए उनके मनोबल को बढ़ावा देता है।

"ॐ ऐं हीं क्रीं कालरात्रे नमः"


माँ कालरात्रि की पूजा -
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माँ कालरात्रि की पूजा कैसे करें, इसका विवरण निम्नलिखित है:

सामग्री:

माँ कालरात्रि की मूर्ति या छायाचित्र
धूप और दीपक
अगरबत्ती और अक्षत
फूल, नैवेद्य, पुष्पमाला
एक सफेद वस्त्र, माला, चंदन और कुमकुम
पूजा के लिए पानी एवं बर्तन


पूजा स्थल की तैयारी -
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एक शुद्ध और साफ पूजा स्थल तैयार करें। उस पर एक सफेद कपड़ा बिछा दें और माँ कालरात्रि की मूर्ति या छायाचित्र को वहाँ रखें।


व्रत आरंभ करें -
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कालरात्रि के दिन अपने व्रत की शुरुआत करें, जिसमें आपको खाने पीने की विशेष बातें याद रखनी चाहिए।

माँ कालरात्रि का मंत्र -
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"ॐ देवी कालरात्र्यै नमः" का उच्चारण करें और माँ कालरात्रि को अपने मन में बसाएं।


पूजा का आरंभ -
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माँ कालरात्रि की मूर्ति या छायाचित्र के सामने धूप, दीपक, अगरबत्ती, और अक्षत चढ़ाएं।


पुष्पांजलि -
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माँ कालरात्रि के चरणों में फूलों का समर्पण करें।


भजन गाना -
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माँ कालरात्रि के भजन गाएं या सुनें।


दान करें -
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गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और औषधि दान करें।


प्रसाद बाँटें -
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पूजा के प्रसाद को सभी व्रती और परिवार के सदस्यों के बीच बाँटें।


पूजा का समापन -
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माँ कालरात्रि की पूजा के बाद उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें और व्रत को समाप्त करें।

माँ कालरात्रि की पूजा को भक्ति और श्रद्धा से करने से व्यक्ति को आंतरिक शांति और साहस मिलता है |


माँ कालरात्रि की पूजा का महत्व अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस पूजा का आयोजन नवरात्रि के सातवें दिन किया जाता है और यह माँ दुर्गा के स्वरूप "कालरात्रि" की विशेष पूजा है। इसका महत्व निम्नलिखित है:

शक्ति की पूजा:
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कालरात्रि का नाम "काल" और "रात्रि" से आता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह पूजा रात को की जाती है। इसमें माँ दुर्गा की अत्यंत उग्र और उद्दंड रूप की पूजा की जाती है, जिससे शक्ति और साहस प्राप्त होता है।


पापों का नाश:
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माँ कालरात्रि की पूजा से भक्तों के पापों का नाश होता है और वे अधर्मिक कार्यों से मुक्ति प्राप्त करते हैं।


रोग निवारण:
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कालरात्रि माता की पूजा से भक्तों को रोगों से मुक्ति मिलती है और उन्हें रोग निवारण की शक्ति प्राप्त होती है।



आध्यात्मिक विकास:
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यह पूजा भक्त को आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित करती है और उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान और अद्भुतता का अनुभव कराती है।


माँ कालरात्रि की पूजा से भक्त अपने जीवन को सफलता, खुशी और आंतरिक शांति से भर देते हैं और माँ की कृपा का आभास करते हैं।


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